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*कहीं रंग बरसेगा कहीं उड़ेगा गुलाल*! *परआज भी मेरा दिल तेरी याद में तरसेगा*? *सरस सिंह के कलम से* आज सुबह से फिजाओं


*कहीं रंग बरसेगा कहीं उड़ेगा गुलाल*!
*परआज भी मेरा दिल तेरी याद में तरसेगा*?
*सरस सिंह के कलम से*
आज सुबह से फिजाओं में मस्ती है! शोर है! शराबा है!मन्द मन्द मुस्कराते भगवान भास्कर अपनी सुनहरी किरणों से जगत नियन्ता का आभियन्ता बने नीति नियन्ता के नियमों का अक्षरस: पालन करते धरती धरा का सुबह सुबह चुम्बन कर आलिंगनबद्ध हो गये है।मस्त मस्त बह रहा पछुआ पवन अमराईयो के बागों में उठ रही मादक सुगन्ध को लिये नशा पैदा कर‌ रहा है खिल खिलाते पुष्पों पर भौंरे गुन्जन कर रहे है तो कलरव करता पक्षियों का समूह हर तरफ कोलाहल कर रहा है। गांव है या शहर समाज गरी है ठहर अबीर गुलाल ने हर मलाल को बाहरकर आनन्दमयी माहौल बना दिया है। वही‌‌ एक तरफ उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में बीजेपी का बुलन्द परचम फहरा तो दुसरी तरफ कश्मीर फाईल्स की मूबी देखकर जगह जगह सन्नाटा भी पसरा ! कश्मीरी पंडितों के उपर हुये 32 साल पहले का अत्याचार योगी सरकार बनते ही मूबी के माध्यम से‌ सिनेमा हालों में साकार हो उठी‌ है।देश आज होली मना रहा कश्मीरी पंडित अपने अतीत को याद कर खानाबदोश जीवन के दर्द भरे वातावरण में समस्या के निराकरण की आस में उपवास कर रहा है?।कितनी बड़ी बिडम्बना है! इस देश की ब्यवस्था में कहीं आस्था चोटिल है! तो कहीं समरसता बोझिल है! बेशर्म सियासत बाज जिनको न लाज से न हया है! वो कश्मीर मूबी पर भी सवाल उठा रहे हैं!अपनी गद्दारी का नमूना दिखा रहे हैं!राम मन्दिर निर्माण के लिये आन्दोलित लोगों पर गोली चलवाने वाला दिल का काला जिसका खानदानी अतीत अपराधियो का रहा आतंकबादीयो का हमदर्द बनकर कश्मीरी लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात कर कश्मीर फाईल्स पर तंज कस रहा है।गजब की सियासत गजब की सोच है।बर्वादी का दिन देखने के बाद भी नहीं आया होश है? सब दिन जात न एक समाना बहुत कुछ बदल गया है! कश्मीर में होली भी होगी !दीवाली भी होगी! नहीं होगा तो केवल आतंक बाद आतंकी समाज,!सिसक सिसक कर जीने वालों का बलिदान हिन्दुस्तान कभी नहीं भूल पायेगा!
आज सारा देश रंगों में डूबा है! बस कश्मीर ही अजूबा है! अजीब कीस्म की शान्ती है टूट रही भ्रांति है! जन्नत के दरवाजे बन्द हो गये दोखज के रास्ते जहन्नम में जाने वालों के लिये चल रही लगातार सफाई है कश्मीर में सेना की चल रही रहनुमाई है।जन्नत को श्मशान बनाने वालो के लिये बुरा दौर चल रहा है। देश का परिवेश बदल चुका है! हर तरफ आज उल्लास है!बस कश्मीर चल रहा था तडाक है मुठभेड़ मे आज न जाने कितने हुये हलाक‌ है। समय के समन्दर में हलचल है! प्रदेश का परिवेश बदला तो पश्चाताप आज कर रहा करहल है? इस साल की होली में सिनेमा‌ हाल मालिक महंगाई में भी कमाई कर रहें है! सिनेमा हालों में सैलाब उमड़ रहा है! लोगों की आंखों ‌से बहता अश्रुधारा गजब का मंजर गजब का पेश कर रहा है नजारा! दिलों में दर्द लिये लोग तत्कालीन ब्यवस्था को कोष रहे हैं!होली आज सारा देश मना रहे हैं! आभामयी वातावरण में खुशियों का यह त्योहार सनातनी ब्यवस्था में आस्था प्रतीक बनकर सदियों से भाई चारगी का सन्देश देता है रहा है। कुशल कुशल गुजर जाये सबकी चाहत मुकाम पाये!

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